People’s Union for Democratic Rights

A civil liberties and democratic rights organisation based in Delhi, India

इस रिपोर्ट में पुलिस द्वारा पूर्वी उत्तर प्रदेश, जिला मिर्ज़ापुर के भवानीपुर गाँव में तथाकथित मुटभेड़ में 16 लोगों की हत्या की जांच करते हुए इस काण्ड में पुलिस के दोष व इन हत्याओं के बाद गाँव के लोगों पर उसके दमनकारी रव्वैये को उजागर करती है|

रिपोर्ट अपनी जांच के अनुसार पुलिस द्वारा बताई जा रही इस ‘मुटभेड’, को झूठा पाती है| ‘नक्सलियों’ को ख़त्म करने की जल्दबाजी में पुलिस द्वारा सम्बद्ध कानूनी प्रक्रियाओं का खुला उल्लंघन दिखता है जिसमें समर्पण किये हुए लोगों को मार दिया गया| पुलिस के पास इन 16 मारे गए लोगों के खिलाफ ‘नक्सल’ होने का कोई पुख्ता सबूत नहीं था सिवाय इसके ये सभी भवानीपुर के रहनेवाले नही थे| रिपोर्ट इस सन्दर्भ में एक बड़ा प्रश्न सामने रखती है कि क्या पुलिस कानूनी प्रक्रिया के बाहर जा शक और पुलिसिया सूत्रों के आधार पर मुटभेड में लोगों की हत्या कैसे कर सकती है? क्या नक्सलियों को खत्म करने की दौड़ में पुलिस कानून को ताक पे रख अपने दर्जे और अपनी भूमिका का एकदम गलत इस्तेमाल कर नागरिकों के जीवन के अधिकार को छीन सकती है?

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मृत अतः दोषी
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