People’s Union for Democratic Rights

A civil liberties and democratic rights organisation based in Delhi, India

१६ दिसम्बर २०१२ को दिल्ली में हुए गैंग रेप और हत्या कांड के चार दोषियों को २० मार्च २०२० की सुबह ५-३० बजे होने वाली फाँसी की सज़ा पर पीयूडीआर चिंता व्यक्त करता है । ये विदित है की उनके द्वारा किया गया अपराध जघन्य था और उसकी जितनी निंदा की जाए उतनी कम है । लेकिन, इस बात को दोहराने की आवश्यकता है की बदले की भावना पर आधारित कोई भी सज़ा, किसी भी प्रकार से इंसाफ़ करने योग्य नहीं है । बल्कि इससे, राज्य और समाज को ज़रूरी सवालों को नज़रंदाज़ करने का मौक़ा मिल जाता है – जैसे ग़लत ढंग से की गई तफ़तीश और विचारण – जिसके कारण अधिकतर मामलों में यौन हिंसा और हत्या के दोषियों को सज़ा नहीं मिल पाती ।

पीड़ित और उसके परिवारजनों के नाम पर भी मृत्यूदंड को सही ठहराने की कोशिश की जाती है । पर इससे केवल राज्य को समाज के नाम पर, एक जघन्य कृत्य करने का बहाना मिल जाता है । इस प्रकार मृत्यदंड हिंसा की संस्कृति को बढ़ावा देता है । साथ ही हमें वास्तविकता पर आँखें मूँद लेने का बहाना भी दे देता है – इस बात को झुठलाया नहीं जा सकता की यौन हिंसा की जड़ें हमारे सामाजिक और राजनैतिक ताने-बाने में छिपी हैं ।

आज हम इन चार व्यक्तियों को फाँसी तो दे रहे हैं, लेकिन हम इस भ्रम में न रहें की ये सज़ा इन चारों के द्वारा किए गए अपराध को चिन्हित करती है । ये चिन्हित करती है, तो केवल इस बात को, कि एक लोकतांत्रिक देश ने अपने नागरिकों के साथ कैसा सलूक किया । ये चिन्हित करती है कि हमारे देश का लोकतांत्रिक ढाँचा इंसानियत के पैमानों पर खरा नहीं उतर सका !

राधिका चितकारा, विकास कुमार
सचिव, पीयूडीआर

Please follow and like us: