People’s Union for Democratic Rights

A civil liberties and democratic rights organisation based in Delhi, India

पीयूडीआर देश भर में पुलिस और गौरक्षक दलों एवं हिन्दुत्ववादी संगठनों की मिलीभगत से ‘गौरक्षा’ के नाम पर दिनों-दिन हो रहे मूल अधिकारों के हनन की कड़ी निंदा करता है | देश के लगभग हर हिस्से में खासकर उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान में लगातार इस तरह के किस्से ख़बरों में आ रहे हैं | गौरक्षक दल और अन्य हिन्दुत्ववादी संगठन गोकशी के नाम पर खुलेआम उपद्रव मचा रहे हैं | इन मामलों में पुलिस की भूमिका पूरी तरह से पक्षपातपूर्ण है और कई बार पुलिस सक्रिय रूप से नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन कर रही है | मध्य प्रदेश में तो गोकशी के आरोप में दो मामले नेशनल सिक्यूरिटी एक्ट के अंतर्गत भी दर्ज़ किये गए हैं | और हरियाणा पुलिस ने 3 जुलाई को एक 24 घंटे की हेल्पलाइन चालू की है जिसपर फ़ोन करके लोग गौ-तस्करी की खबर दर्ज़ करवा सकते हैं |

पीयूडीआर ने इस विषय में 1 जनवरी 2016 से 5 जुलाई 2016 तक देश की कुछ अखबारों की वेबसाइट (जैसे दैनिक जागरण,हिंदुस्तान टाइम्स – हिंदी व अंग्रेज़ी, टाइम्स ऑफ़ इंडिया, इंडियन एक्सप्रेस, द हिन्दु) से ‘गाय’ एवं ‘गौमांस’ से जुड़ी 88 खबरें इकट्ठा कीं | 47 खबरें केवल उत्तर प्रदेश और हरियाणा से थीं | इन घटनाओं में वे घटनाएं शामिल नहीं हैं जो अखबारों में नहीं प्रकाशित हुईं या जिन तक हम नहीं पहुँच पाए | इस जांच के निष्कर्ष एवं विश्लेषण निम्नलिखित हैं |

1. रोषहमले और हत्याएँ – हिन्दुत्ववादी संगठन लोगों को लगातार उकसा रहे हैं | गौ रक्षक दलों का नियमित रूप से स्वयं और लोगों की मदद से वाहन रोकना, राष्ट्र्मार्ग जाम कर देना, तोड़-फोड़ करना, वाहनों को जला देना, मृत या घायल गाय के मिलने पर लोगों का इकट्ठा होकर प्रदर्शन करना, गौ-चोरी/हत्या का इल्ज़ाम लगाकर किसी पर भी हमला करना, मार-पीट करना, कपड़े फाड़ना, यह सब आम होता जा रहा है | उदाहरण के लिए मध्य प्रदेश में खिड़किया रेलवे स्टेशन पर गौरक्षा कमांडो फ़ोर्स के लोगों ने कुशीनगर एक्सप्रेस ट्रेन के जनरल डिब्बे में घुसकर यात्रियों के सामान में गौमांस की तलाशी शुरू कर दी | एक मुसलमान जोड़े का30 किलो का दालों का थैला बाहर फेंक दिया और उन्हें पीटा | हरियाणा के मेवात जिले में दो वाहनचालकों को सज़ा के तौर पर गुड़गाँव गौ रक्षक दल ने जबरन गोबर और गौमूत्र का मिश्रण खिलाया, जिसकी वीडियो बाद में काफी चर्चित भी हुई | इस साल कम से कम 4 व्यक्तियों की ऐसे हमलों के कारण मरने की खबरें भी सामने आयीं | झारखण्ड के लातेहार में 2 लोगों की बर्बर हत्या के चर्चित हादसे के अलावा हरियाणा के करनाल में गंगेर गाँव के पास ताराओरी थाने से एक युवक की मृत्यु की खबर आई | कुरुक्षेत्र में शाहबाद डेरी के पास मुस्तैन नाम के एक युवक की पुलिस और गौरक्षक दल की मिलीभगत से हत्या की खबर भी सामने आई |सहारनपुर का 27 वर्षीय मुस्तैन भैंस खरीदने के लिए 5 मार्च को सुबह 9 बजे घर से निकला था जिसके बाद वह वापस घर नहीं लौटा| कुछ दिनों के बाद उसके पिता को खबर मिली की उसे आखिरी बार शाहबाद इलाके में देखा गया था | मुस्तैन के पिता ताहिर हसन जब शाहबाद पुलिस के पास गए तो पुलिस ने कहा कि वे उसके बेटे को छोड़ देंगे और उसके साथ गाली गलौच भी की, जिससे प्रतीत हुआ कि मुस्तैन पुलिस हिरासत में था | शक होने पर, ताहिर ने उच्च न्यायालय में मुस्तैन को पुलिस द्वारा पेश कराने की अर्ज़ी दायर की (हेबियस कॉर्पस) | कोर्ट द्वारा नियुक्त किये गए वारंट ऑफिसर की रिपोर्ट से पता चला की 5 और 6 मार्च की रात को शाहबाद डेरी इलाके में गौ रक्षक दल के सदस्यों ने एक वाहन जिसमें 5 मवेशी ले जाए जा रहे थे, को रोका था | पुलिस के अनुसार उस वाहन में बैठे लोगों ने गोलियां चलाईं और फरार हो गए, जिसके बाबत 6 मार्च को शाहबाद पुलिस ने वाहन में बैठे लोगों के खिलाफ 307आईपीसी, 11 प्रिवेंशन ऑफ़ क्रुएल्टी टू एनिमल्स एक्ट, और 25 आर्म्स एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज़ की | पुलिस के अनुसार इन्हीं फरार लोगों में से एक मुस्तैन था जो की मवेशी लेकर उस रात लौट रहा था | ताहिर की अर्ज़ी पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने स्थानीय पुलिस पर अविश्वास जताया और कहा की गौरक्षक दलों को उच्च स्तरीय पुलिस अधिकारियों और नेताओं का संरक्षण प्राप्त है इसीलिए इस मामले निष्पक्ष जांच नहीं हो पाएगी | यह कहकर कोर्ट ने मामला सीबीआई को सौंप दिया | कोर्ट की फटकार के बाद 2अप्रैल को पुलिस ने ताहिर को मुस्तैन की लाश की शिनाख्त के लिये बुलाया और उसकी हत्या के सिलसिले में एफआईआर दर्ज़ की |कोर्ट ने अपने आदेश में पुलिस के इस रवैय्ये की कड़ी निंदा की और मुस्तैन की हत्या का मामला सीबीआई को सौंप दिया | (ताहिर हसन बनाम हरियाणा राज्य और अन्य, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय, चंडीगढ़, CRWP No.382 of 2016 (O&M))

2. अंधाधुन्ध गिरफ्तारियां एवं मामले दर्ज़ – वाहन रोकने की 46 ख़बरों में पता चला कि गोकशी की तस्करी के आरोप में कम से कम 99 लोगों को आरोपित किया गया है जिनमें से कम से कम 58 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है | कुल मिलाकर सभी 88ख़बरों से पता चला की 2016 में कम से कम 84 लोगों को गोकशी से जुड़े मामलों में गिरफ्तार किया जा चुका है | इनमें कम से कम40 मामलों में कोई न कोई हिन्दुत्ववादी संगठन के सक्रिय होने की खबर है |देखा गया है की ऐसे संगठनों के कार्यकर्ता सैंकड़ों लोगों को उकसाने के बाद मौके पर उन्हें इकट्ठा कर प्रदर्शन करते हैं, और पुलिस एवं प्रशासन पर मामला दर्ज़ करने और जांच करने का दबाव बनाते हैं | फिर पुलिस मामला दर्ज़ कर लेती है | और मामला शांत करने के लिए विभिन्न थानों से फ़ोर्स बुलवाती है, कई मामलों में पीएसी के ट्रक भी बुलवाए गए | मालूम चलता है की छोटे से छोटे मामले में भी पुलिस तुरंत कार्यवाही शुरू कर देती है |

3. नेशनल सिक्यूरिटी एक्ट का प्रयोग – मध्य प्रदेश मेंऐसे दो मामले सामने आये जिनमें लोगों पर गोकशी के आरोप में नेशनल सिक्यूरिटी एक्ट के तहत मामला दर्ज़ किया गया | एक मामले में विदिषा में 11 फरवरी को सलीम मुहम्मद, इरफ़ान कुरेशी, और दानिश शरीफ को हिन्दुत्ववादी संगठन के कार्यकर्ताओं एवं पुलिस द्वारा गौमांस ले जाते हुए पकड़ा गया | दूसरी ओर देवास ज़िले में बीजेपी के ही विधायक और उसके चार रिश्तेदारों को गोकशी के आरोप में 28 जनवरी को पकड़ा गया | गुस्साए कार्यकर्ताओं ने तोंखुर्द में प्रशासन से सभी प्रकार के मांस विक्रेताओं की दुकानें बंद कराने की यह कहकर मांग की कि इनके मंदिरों और स्कूलों के आस पास होने से धार्मिक भावनाओं को चोट पहुँचती है | ये सभी दुकानें मुसलामानों की हैं | उत्तर प्रदेश के मथुरा में भी चौमुहा इलाके में 23 जून को गुस्साए लोगों द्वारा एक ट्रक, जिसमें कथित तौर पर 22 गायों के कंकाल पाए गए थे, को आग लगा दी गई |लोगों ने दो घंटे तक राष्ट्रमार्ग जाम किया | वे तब जाकर शांत हुए जब मथुरा के एसपी ने नेशनल सिक्यूरिटी एक्ट लगाने का आश्वासन दिया |

 

4. जीविका पर आक्रमण – इनमें 46 घटनाएँ ऐसी थीं जिनमें गाय-बछड़े को ले जा रहे टेम्पो या ट्रक आदि वाहनों को यह कहकर रोका गया कि जानवरों को काटने के लिए ले जाया जा रहा है | तस्करी और चोरी के नाम पर पुलिस और/या हिन्दुत्ववादी संगठनों द्वारा रोके गए इन वाहनों के चालकों को पीटा जा रहा है और इनके खिलाफ मुकदमे दायर किये जा रहे हैं | ऐसे मामले भी सामने आये जहां हिन्दुत्ववादी संगठनों द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर पुलिस द्वारा ‘सर्च ओपरेशन’ किया गया और गोदाम में काम कर रहे लोगों को गोकशी के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया | हाल ही में इन्डियन एक्सप्रेस में महाराष्ट्र में 2015 में गोकशी सम्बंधित नए क़ानून के अंतर्गत दर्ज़ की गई 100 प्राथिमिकियों का विशलेषण छपा था | इस से पता चलता है कि राज्य में 100 में से89 मामले ऐसे ही ट्रांसपोर्टरों के थे | इनमें से 85 मुसलमान थे | लगभग सभी मामलों में हिन्दुत्ववादी संगठनों एवं गौ रक्षक दलों को’तस्करी’ की ख़ुफ़िया जानकारी मिलती है, वे पुलिस को खबर करते हैं, वाहन को रोका जाता है, कथित तौर पर वाहन-सवार लोग गोलियां चलाते हैं, और वाहन चालक और कंडक्टर को गिरफ्तार कर के उन पर मुकदमा थोप दिया जाता है | इसका मतलब हिन्दुत्ववादी संगठनों और पुलिस की सक्रियता के चलते सैंकड़ों लोगों की जीविका पर सीधा निशाना साधा जा रहा है | पीयूडीआर ने अपनी एक अन्य रिपोर्ट में (गौमांस पर प्रतिबन्ध और मौलिक अधिकारों का हनन, जुलाई 2015, पृष्ठ 5,6) बताया था कि कैसे गौमांस प्रतिबन्ध सम्बंधित क़ानून – जिनके बल पर आज ये संगठन पुलिस की मदद से मनमानी कर रहे हैं – हज़ारों लोगों की जीविका को प्रभावित कर रहे हैं | इन लोगों में किसानों के अलावा पशु व्यापार और सम्बंधित उद्योगों – जैसे चमड़े, जिलेटिन, पशु वसा, साबुन उद्योग, फार्मास्युटिकल्स, और मांस निर्यात आदि से जुड़े लोग शामिल हैं | ज्ञात हो कि पंजाब में 6जून को साबुन फैक्ट्रियों के प्रतिनिधियों ने पंजाब के डीजीपी सुरेश अरोरा से मिलकर मांग की कि उन्हें गौ रक्षक दलों से बचाया जाए |

5. आहार वरीयता थोपना – देश के तीन विश्वविद्यालयों (अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, मेवाड़ यूनिवर्सिटी और केन्द्रीय हिंदी संस्थान,आगरा) में इस साल देखा गया कि छात्रों के खाने की स्वतंत्रता पर भी रोक लगाने का प्रयास किया जा रहा है | यहाँ भी हिन्दुत्ववादी संगठनों की भूमिका अहम है | सोशल मीडिया के प्रयोग से हड़कम्प मचाकर छात्रों पर आरोप लगाया गया कि वे गौमांस खा रहे हैं या कैंटीन में खिलाया जा रहा है | प्रदर्शन करके विश्वविद्यालय प्रशासन को छात्रों के खिलाफ जाँच करने के लिए बाध्य किया गया | एक अन्य मामले में तमिलनाडू में एक व्यक्ति द्वारा एक मंदिर के बाहर ‘बीफ’ का स्टाल लगाने कि कोशिश करने पर बीजेपी के शिकायत करने पर पुलिस ने उसे ऐसा करने से रोक दिया | ये मामले दर्शाते हैं कि किस प्रकार हिन्दुओं के बेहद प्रभावशाली तबकों की संतुष्टि के लिए बाकी हिन्दुओं और अन्य समुदायों पर एक प्रकार की आहार वरीयता थोपी जा रही है | (देखें – गौमांस पर प्रतिबन्ध और मौलिक अधिकारों का हनन, जुलाई 2015, पृष्ठ 5)

इस विश्लेषण से ‘गौरक्षा’ के नाम पर हो रहे मूल अधिकारों के हनन में सक्रिय हिन्दुत्ववादी संगठनों (जैसे बीजेपी, विश्व हिन्दू परिषद,बजरंग दल, नाना प्रकार के गौरक्षा दल और युवा समितियाँ) और पुलिस की सांठगाँठ के संकेत स्पष्ट हैं, उदाहरण के लिए –

1. पुलिस को सभी वाहनों के गुज़रने के बारे में सूचना पहले ही मिलना, कुछ मामलों में बाद में सूचना मिलने पर तुरंत मौके पर आकर गिरफ्तारियां और मामले दर्ज़ करना |

2. हिन्दुत्ववादी कार्यकर्ताओं द्वारा तोड़-फोड़ करने, मार-पीट और उपद्रव मचाने के मामलों में पुलिस द्वारा कोई रिपोर्ट न दर्ज़ करना, और इन लोगों को मार-पीट करने की खुली छूट देना |

3. वाहन चालकों द्वारा अपने दस्तावेज़ दिखने के बावजूद उनके वाहन और जानवरों को ज़ब्त कर के उन्हें गिरफ्तार करना |

4. दलों के दबाव में आकर मांस की जांच होने से पहले या बिना अन्य प्रारम्भिक जांच के ही गोकशी के आरोप में गिरफ्तार कर लेना |

5. मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में नेशनल सिक्यूरिटी एक्ट का इस्तेमाल करना |

6. हरियाणा पुलिस द्वारा 24 घंटे की हेल्पलाइन चालू करना और वरिष्ठ पुलिस अफसर को सुपरवाइजर नियुक्त करना | इसी तर्ज़ पर महाराष्ट्र में एनिमल हसबेंडरी विभाग ने पशु कल्याण अफसरों कि नियुक्ति की है ताकि गौरक्षा सम्बन्धी क़ानून लागू हो सकें |

7. ऊपर दिए गए मुस्तैन की हत्या के मामले में पंजाब उच्च न्यायलय ने जांच को सीबीआई को सौंपते हुए कहा कि स्थानीय पुलिस और गौरक्षा दलों की मिलीभगत के कारण निष्पक्ष जांच नहीं हो पाएगी | कोर्ट ने यह भी कहा की “कुछ दल, जो खुद को सामाजिक व्यवस्था के पहरेदार समझते हैं, स्थानीय प्रशासन की मदद से न सिर्फ कानूनों को दरकिनार कर रहे हैं, पर राज्य में अराजकता फैला रहे हैं, और कानून के शासन को बिगाड़ रहे हैं |”

8. इसके अलावा मृत गायों को गाढ़ना, घायल और बीमार गायों का इलाज करवाना, और पकड़े गए वाहनों और गायों की देख-रेख भी अब पुलिस के कामों में जुड़ गए हैं |

पीयूडीआर हिन्दुत्ववादी संगठनों और पुलिस की इस सांठगाँठ की ओर ध्यानाकर्षित करते हुए मांग करता है कि पुलिस और संगठनों को नागरिकों के मूल अधिकारों का हनन करने की शक्तियां प्रदान करने वाले गौकशी संबंधी सभी क़ानूनों को रद्द किया जाये |

मौशुमी बासु, दीपिका टंडन
सचिव, पीयूडीआर

pudr@pudr.org

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