जाति पर आधारित मैला ढोने की प्रथा एक ऐसी प्रथा है जिसमें दलितों की कुछ उपजातियों को अपने हाथों से सूखी लैट्रिन (शुष्क शौचालय) या सीवर में से मल-मूत्र साफ़़ करने, इकट्ठा करने, अपने सिरों पर मैला ढोने या अन्य सम्बंधित कार्यों को करने के लिए मजबूर किया जाता है। हालांकि इस प्रथा को बीस वर्ष पहले ही संविधानिक तौर पर प्रतिबंधित कर दिया गया था, लेकिन आज भी देश में यह व्यापक रूप से प्रचलित है।
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